
भारत और जापान के रिश्ते सिर्फ कूटनीतिक और व्यापारिक समझौतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह सभ्यता, संस्कृति और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टोक्यो दौरे ने एक बार फिर से इन रिश्तों को नए सिरे से दुनिया के सामने रखा है। इस यात्रा के दौरान बौद्ध धर्म की साझा धरोहर, आधुनिक तकनीक जैसे बुलेट ट्रेन, और बढ़ते हुए द्विपक्षीय व्यापार पर विशेष जोर दिया गया।
बौद्ध धर्म से शुरू हुई साझेदारी
भारत और जापान का रिश्ता हजारों साल पहले तब शुरू हुआ जब बौद्ध धर्म का संदेश भारत से जापान पहुंचा। गौतम बुद्ध की शिक्षाओं ने जापानी समाज और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया। आज भी जापान के मठों और मंदिरों में भारतीय आध्यात्मिकता की झलक दिखाई देती है। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव सदियों से मजबूत होता गया।
आधुनिक दौर में तकनीकी सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री ने टोक्यो में हुई मुलाकात में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर प्रगति की समीक्षा की। भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना, अहमदाबाद से मुंबई के बीच, जापान की तकनीकी और वित्तीय मदद से बनाई जा रही है। यह सिर्फ एक रेलवे प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी और भरोसे का प्रतीक है।
द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
भारत और जापान के बीच आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। आज जापान, भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी जैसे सेक्टरों में जापानी कंपनियां बड़ी भूमिका निभा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और निवेश को और तेज़ करने पर जोर दिया गया।
रणनीतिक साझेदारी
एशिया के बदलते भू-राजनीतिक हालात को देखते हुए भारत और जापान की साझेदारी का महत्व और बढ़ गया है। रक्षा सहयोग, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति बनाए रखने और वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटने की दिशा में भी कई अहम समझौते हुए।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का यह टोक्यो दौरा इस बात का प्रमाण है कि भारत-जापान संबंध सिर्फ वर्तमान या भविष्य की योजनाओं पर नहीं, बल्कि सदियों पुरानी साझा विरासत पर आधारित हैं। बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक नींव से लेकर बुलेट ट्रेन जैसी आधुनिक तकनीक तक, यह रिश्ता हर दौर में और मजबूत होता जा रहा है।
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