भुवनेश्वर/नई दिल्ली।
भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए सोमवार को ओडिशा तट से अपने स्वदेशी Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) का पहला सफल उड़ान परीक्षण पूरा किया। यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया, जिसे देश की वायु रक्षा क्षमता को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
क्या है Integrated Air Defence Weapon System (IADWS)?
यह प्रणाली एक बहु-स्तरीय (Multi-layered) वायु रक्षा कवच है, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलों जैसी हवाई चुनौतियों को तुरंत नष्ट करने में सक्षम है।
इसमें आधुनिक राडार, सेंसर नेटवर्क और उन्नत मिसाइल प्रणाली का संयोजन किया गया है, जो वायु क्षेत्र पर लगातार नज़र रखते हुए खतरे का पता लगाता है और सेकंडों में उसे निशाना बना सकता है।
परीक्षण की सफलता
सूत्रों के अनुसार, इस परीक्षण के दौरान IADWS ने विभिन्न परिदृश्यों में अपने टारगेट्स को सटीकता से भेदा। यह प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित है और इसे आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना और थलसेना की तैनाती में शामिल किया जाएगा।
DRDO के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सिस्टम का विकास ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है।
रणनीतिक महत्व
भारत पहले से ही S-400 ट्रायम्फ जैसी विदेशी वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग करता है, लेकिन IADWS की सफलता ने भारत को अपनी स्वदेशी वायु सुरक्षा ढाल तैयार करने की दिशा में सक्षम बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह प्रणाली सीमा पर तैनात होकर भारत को एक मजबूत वायु रक्षा कवच प्रदान करेगी।
नेताओं की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री ने इस सफलता पर DRDO वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देते हुए कहा—
“भारत आज रक्षा आत्मनिर्भरता की नई ऊँचाइयों को छू रहा है। IADWS का सफल परीक्षण हमारे वैज्ञानिकों की क्षमता और समर्पण का प्रमाण है।”
👉 यह उपलब्धि भारत की वायु रक्षा प्रणाली को न केवल और मज़बूत करेगी बल्कि आने वाले वर्षों में दुश्मन देशों के किसी भी हवाई खतरे को जवाब देने की भारत की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी।