
सियाचिन में भीषण हिमस्खलन, तीन जवान शहीद – सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
लेह/लद्दाख:
दुनिया के सबसे ऊँचे और कठिनतम युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में सोमवार को बड़ा हादसा हुआ। बेस कैंप के समीप आए भीषण हिमस्खलन (Avalanche) ने भारतीय सेना की चौकी को अपनी चपेट में ले लिया। इस दर्दनाक दुर्घटना में तीन सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी। शहीदों में दो अग्निवीर और एक सिपाही शामिल हैं।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, सुबह अचानक ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटकर बेस कैंप पर आ गिरा। बर्फ की भारी परत के नीचे चार जवान दब गए। सेना ने तुरंत बचाव अभियान चलाया और लगातार कई घंटे तक चले रेस्क्यू के बाद तीन जवानों के शव बरामद किए जा सके। एक कप्तान को गंभीर हालत में बाहर निकाला गया। उन्हें लगभग पाँच घंटे बाद जिंदा बचा लिया गया, लेकिन उनके हाथ-पैर और नाक पर गंभीर हिमदंश (Frostbite) की चोटें आई हैं।
शहीद हुए वीर सपूत
- सिपाही मोहित कुमार – उत्तर प्रदेश निवासी
- अग्निवीर राकेश देवाभाई डाभी – गुजरात निवासी
- अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी – झारखंड निवासी
इन तीनों ने देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
सियाचिन की चुनौती
सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊँचा युद्धक्षेत्र कहा जाता है। यहाँ तापमान अकसर माइनस 50 से 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और लगातार बदलते मौसम के बीच तैनात भारतीय जवान हर क्षण अपनी जान जोखिम में डालकर सीमा की सुरक्षा करते हैं।
सेना का बयान
भारतीय सेना ने बताया कि घटना के बाद तुरंत राहत व बचाव अभियान चलाया गया। शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा गया कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। सेना ने उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना भी व्यक्त की।
निष्कर्ष
सियाचिन के बर्फीले मोर्चे पर हुई यह त्रासदी एक बार फिर याद दिलाती है कि सैनिक किस कठिन परिस्थिति में देश की रक्षा करते हैं। तीनों शहीदों की शहादत को सदैव याद किया जाएगा और उनका साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।