काशीपुर स्कूल गोलीकांड: नाबालिग छात्र ने टीचर को बनाया निशाना

उधम सिंह नगर, काशीपुर। बुधवार की सुबह शहर के नामचीन स्कूल में अचानक गोलियों की आवाज़ गूंज उठी और माहौल भय और दहशत में बदल गया। यह कोई फिल्मी दृश्य नहीं, बल्कि हकीकत थी। घटना तब हुई, जब 9:45 बजे इंटरवल के बाद फिजिक्स टीचर गगनदीप सिंह कोहली क्लास से बाहर निकल रहे थे। तभी एक नाबालिग छात्र ने अपने टिफिन बॉक्स से छुपाकर लाया गया तमंचा निकाला और अचानक फायरिंग कर दी।

गोली लगते ही स्कूल में अफरातफरी मच गई। चारों तरफ चीख-पुकार और भगदड़ का माहौल था। साथी शिक्षकों ने हिम्मत दिखाकर छात्र को मौके पर ही काबू में ले लिया, जबकि गंभीर रूप से घायल गगनदीप सिंह को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने घंटों चले ऑपरेशन के बाद उनकी गर्दन में फंसी गोली को निकाला। फिलहाल उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई है।


चौंकाने वाला खुलासा: टिफिन में छुपाकर लाया तमंचा

पुलिस जांच में सामने आया कि छात्र ने यह हथियार घर की आलमारी से उठाया था। उसने बड़ी चालाकी से उसे अपने टिफिन बॉक्स में छुपाया और स्कूल में ले आया। यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने छात्र के पिता को भी पूछताछ के घेरे में लिया। बताया जा रहा है कि घटना के बाद पिता कुछ समय के लिए फरार भी हो गए थे।


थप्पड़ से शुरू हुई रंजिश बनी गोलीकांड की वजह

पूछताछ में छात्र ने जो स्वीकार किया, उसने सबको चौंका दिया। दरअसल, दो दिन पहले फिजिक्स क्लास में एक सवाल का जवाब देने के बावजूद टीचर ने उसे थप्पड़ मार दिया था। इस अपमान ने छात्र के मन में गहरी चोट छोड़ी और उसने बदला लेने का निश्चय कर लिया। यही गुस्सा और रंजिश बुधवार को गोलीकांड की वजह बन गई।


पुलिस-फॉरेंसिक की ताबड़तोड़ कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। पूरे स्कूल परिसर को घेरकर साक्ष्य जुटाए गए। जांच में 315 बोर का तमंचा और कारतूस का खोखा बरामद हुआ। एएसपी अभय सिंह ने पुष्टि की कि आरोपी छात्र के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है और फिलहाल वह पुलिस संरक्षण में है।


समाज के लिए बड़ा सवाल

यह वारदात सिर्फ एक स्कूल या एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी चिंता का विषय है। आखिर ऐसा क्या हो गया कि एक नाबालिग छात्र ने इतनी बड़ी हिंसक घटना को अंजाम दे दिया? क्या यह गुस्से पर काबू न रख पाने की नाकामी थी, या फिर घर-परिवार से मिली गलत सीख का असर?

यह सवाल हर अभिभावक, हर शिक्षक और पूरे समाज के सामने खड़ा है—क्या हम बच्चों को सही दिशा देने में कहीं चूक रहे हैं?


👉 यह घटना हमें झकझोरती है और यह सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि भावनाओं और अनुशासन का भी हिस्सा होनी चाहिए।

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